भारत में प्रजनन दर में तेजी से कमी आई है, खासकर ग्रामीण इलाकों में। भारत की दो-तिहाई आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, जो कि प्रजनन दर में गिरावट को और बढ़ा रहा है। हालांकि भारत ओवरपॉपुलेशन की समस्याओं का सामना कर रहा है, लेकिन एक तरह से सम्पूर्ण रूप से देखा जाये तो प्रजनन क्षमता घटती हुई नज़र आती है।
दूसरी तरफ, अपनी उपलब्धियों के कारण, इन विट्रो फर्टिलिटी (आईवीएफ) भारत में गति प्राप्त कर रहा है। भारतीय आईवीएफ सेवा बाजार को वर्ष 2016 से 2022 तक 16.6% के सीएजीआर पर 2022 तक $ 775.9 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है। कई माता-पिता ने आईवीएफ की सहायता ली है और बच्चे पैदा करने की अपनी आकांक्षा को पूरा किया है। आईवीएफ अब भारत में अपनी घातीय रूप से वृद्धि की नयी इबारत लिखने के साथ एक परिणाम-संचालित विधि के रूप में माना जाने लगा है।
आईवीएफ उपचार में शामिल लागतें /खर्चे क्या हैं?
आईवीएफ हमेशा उच्च कीमत वाला नहीं होता है। उपचार की लागत या उसके खर्चे बांझपन/ इनफर्टिलिटी के स्तर, आवश्यक हस्तक्षेप की श्रेणी और उपयोग की जाने वाली प्रक्रिया पर आधारित होती है। विशेष रूप से रोगी की मेडिकल स्थिति के आधार पर, प्रजनन क्षमता के उपचार और दवाओं की आवश्यकता आधारित होगी, और इसके परिणामस्वरूप लागत/ खर्च कम हो जाएगा। उम्र और इंफर्टिलिटी की अवधि जैसे कई अन्य पहलू हैं, जो सामने भी नज़र आते हैं।
भारत में ग्रामीण क्षेत्रों ने आईवीएफ का विकल्प चुनना शुरू कर दिया है
भारत में ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों ने आईवीएफ और उससे जुड़ी प्रक्रियाओं का चयन करना शुरू कर दिया है – क्योंकि बांझपन/ इंफर्टिलिटी एक ऐसी समस्या है जो एक जोड़े की विशिष्ट जनसांख्यिकी/ डेमोग्राफ़िक्स और पृष्ठभूमि /बैकग्राउंड पर निर्भर नहीं करती है।
आज आईवीएफ की उचित कीमत के साथ और किश्त के द्वारा भुगतान की पहुंच होने के कारण ग्रामीण समुदायों के बीच इसकी व्यवहार्यता को बढ़ावा मिला है। यहां तक कि कुछ एजेंसियों ने ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को विशिष्ट प्रजनन बीमा योजना/ फर्टिलिटी इंश्योरेंस प्लान प्रदान करने की शुरुआत भी की है।
बीमा और ऋण के साथ फर्टिलिटी ट्रीटमेंट का वित्तपोषण हो रहा है
इसके अलावा, जबकि स्वास्थ्य नीतियों की मुख्यधारा ने पहले बांझपन के उपचार को निष्कासित कर दिया था, लेकिन वहीँ इनफर्टिलिटी के मुद्दों की संख्या में वृद्धि के कारण बांझपन के उपचार की नीतियों को मदद प्रदान करने के लिए बीमा कंपनियों के सामने खड़े होने से यह उनके लिए एक सही शुरुआत है और बीमा कम्पनियां अब इस कार्य में सेवारत भी हैं।
निजी बीमा एजेंसियों के साथ, भारत में आज आईवीएफ को ग्रामीणों ने एक अवसर के रूप में देख लिया है, जिसमें उनकी चिकित्सा बीमा योजनाओं में आईवीएफ उपचार भी शामिल हैं।
हालांकि, भले ही आपका बीमा उन्नत फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के लिए कम या कोई कवरेज नहीं प्रदान करता है, फिर भी आपको आशा नहीं खोनी चाहिए। अन्य वित्त-संबंधित योजनाएं/ फ़ाइनेंशियल प्लान्स, जैसे विभिन्न बैंकों द्वारा प्रदान किए गए तनाव-मुक्त और आपके लिए सटीक पर्सनल लोन,आपको एक हाथ से उधार दे सकती हैं।
प्रजनन उपचार हतोत्साहित करने वाले प्रतीत हो सकते हैं, लेकिन शोध की सटीक मात्रा और सटीक साधनों के साथ, बच्चे की प्लानिंग करना और ज्यादा खर्चों के बिना भी वही प्राप्त करना अब ग्रामीण आबादी के लिए भी संभव है।
आगे बढ़ते हुए
, प्रजनन के क्षेत्र में वैज्ञानिक प्रगति और खर्चों की प्रभावशीलता ने भारत में ग्रामीण आबादी के सपनों को पूरा करने का वादा किया है। यहां तक कि इंफर्टिलिटी के उपचार तक पहुंच, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र में, ताकि ऐसे समुदाय के लोग भी इस तरह के उत्कृष्ट उपचारों का लाभ उठा सकें।
आईवीएफ ने उन महत्वाकांक्षी माता-पिता के चेहरे पर मुस्कान ला दी है जो बांझपन की समस्याओं के कारण पितृत्व व मातृत्व की भावना से अछूते रह रहे थे। आईवीएफ बाजार में वृद्धि के साथ, देश नैतिक मूल्यों और देश नैतिक मूल्यों और सहानुभूति को बनाए रखने के लिए उत्सुक है।